मेरी कवितायेँ बस चन्द अल्फ़ाज़ नहीं हैं, कुछ भावानाएँ हैं जो पन्नों में बिखरी हैं, उन्हें शब्दों में पीरोने की एक कोशिश है, कुछ यादें हैं जो अरसे से शब्दों की तलाश में थे, और उन्ही यादों में कुछ धूमिल से चेहरे, जिनको लिखने की कोशिश है...
मैं चाहता हूँ कुछ नज़्म लिखूं, कुछ कविता, कुछ पंथ, ग़ज़ल नए, कुछ अपना संसार लिखूं, जीवन के कोरे पन्नों पर तेरा ही प्यार लिखूँ!
कुछ तुम्हारी मुस्कान पर, कुछ मासूमियत पर, कुछ उस गुस्से पर कुछ हुश्न पर तो एकाध सादगी पर!