Monday, February 13, 2023

यथार्थ

 जब पेड़ से गिरा सेब तब न्यूटन ने ढूंढा ग्रेविटी

मैं कोई न्यूटन तो नहीं मगर 

इस पेड़ की छाँव में बैठकर मैंने ढूंढा प्रेम तुम्हारा !!


अगर ग्रेविटी एक यथार्थ है – 

समय से भी परे है 

तो मेरा प्रेम भी यथार्थ की परिमिति है

समय की सीमा से बंधा नहीं नहीं है !!


तुम्हारे प्रेम की तरफ खींचा चला गया हूँ मैं वैसे ही जैसे - 

ग्रेविटी खींचती है चीजों को अपनी तरफ!!

मैं कितना भी ऊपर क्यों ना चला जाऊं

पुकारता है तुम्हारा प्रेम, 

देने के लिए मुझे धरातल

ताकि मैं स्थिर रहूँ !!


मैं हमेशा तुम्हारे नाम से जाना जाऊंगा अब

ठीक ऐसे ही जैसे न्यूटन जाने जाते है ग्रेविटी से

पूरक हैं हम एक दूसरे के क्यूंकि -

तुम्हारा प्यार मेरा वजूद है

मेरा होना इसका सबसे बड़ा सबूत है 

ग्रेविटी बांधे है जैसे संपूर्ण ब्रह्माण्ड को 

वैसे ही बंधा हूँ मैं अपने अस्तित्व से !

-अवि