Thursday, December 22, 2016

चलो अब कुछ नया आजमाते हैं

चलो अब कुछ नया आजमाते हैं,
आसमानों में बहुत उड़ लिए,
अब पांव जमीन पे लाते हैं,
चलो अब कुछ नया आजमाते हैं!
अपने दिल की खिड़कियों से,
नए रिश्तों में प्यार की इबारत,
फिर से जीने का जूनून,
और मासूम मुस्कान में शरारत ,
ताज़गी हवा में प्यार घोलती,
उन भ्रमरों के गुंजन को नव गान बनाते हैं,
चलो ना यार, कुछ नया आज़माते हैं !!
कहानियां लिख डाली बहुत,
रचे नवल किरदार बहुत,
उन गीतों, उन कहानियों की ,उस पनघट की,
राधा की गगरी को, उस कान्हा की मस्ती को,
अब फिर जीवंत बनांते हैं,
चलो यार अब कुछ नया आजमाते हैं !
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-अविनाश पाण्डेय "अवि"

Friday, December 16, 2016

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं !!

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।

हिमालय मस्तक है,

गौरीशंकर शिखा है,

कश्मीर किरीट है,

पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।

विंध्याचल कटि है, नर्मदा करधनी है,

पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघाएँ हैं,

कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है।

पावस के काले काले मेघ इसके कुंतल केश हैं ,

चाँद और सूरज इसकी आरती उतारते हैं

यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,
यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है।
इसका कंकर-कंकर शंकर है,
इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
हम जियेंगे तो इसके लिये

मरेंगे तो इसके लिये।

और मरने के बाद गंगा में बहती हुई हमारी हड्डियों को कोई कान लगाकर सुनेगा तो एक ही आवाज़ आएगी - भारत माता की जय

-अटल विहारी बाजपेयी