क्या होता दुनिया मे सिर्फ़, सिर्फ़ इन्सान होते!
ना जाति, ना धर्म, ना वर्ण, ना रंग,
ना देश, ना तकरार, ना हथियार, ना जंग
ना बंधन ना बाधाएं,
ना सिमटी सीमाएं,
ना आगे बढ़ने का होड़,
ना झूठ-फ़रेब की जठजोड़
ना ईर्ष्या, ना लोभ,
ना द्वेष, ना क्षोभ,
मनुष्य स्वच्छन्द होकर विचरण करता,
प्रकृति के अद्वितीय स्वरूपों को निहारता,
तब मुझे नहीं लगता किसी भगवान की जरूरत होती।
मेरी कवितायेँ बस चन्द अल्फ़ाज़ नहीं हैं, कुछ भावानाएँ हैं जो पन्नों में बिखरी हैं, उन्हें शब्दों में पीरोने की एक कोशिश है, कुछ यादें हैं जो अरसे से शब्दों की तलाश में थे, और उन्ही यादों में कुछ धूमिल से चेहरे, जिनको लिखने की कोशिश है...
Tuesday, April 18, 2017
काश भगवान तू ना होता!!
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