Monday, August 14, 2017

नटकठ कान्हा को देखा क्या??

पीठ पर मोटा बस्ता लिए ,
आंखों में सपने लिए,
हाथ में मुरली, बालों में मोर पंख,
चेहरे पर वो नटकठ मुस्कान,
गले में हार, पीताम्बर पहने
नन्हें कृष्ण को आज तुमने देखा क्या?
नही देखा तो जाके देख लो ना?

अरे हाँ, कान्हा कभी अकेला नही होता,
उसके साथ राधा भी तो है,
हरे रंग की चुनरी ओढ़े,
रूप मोहिनी, श्रृंगार में उर्वशी को मात देती,
माथे की बिंदिया, हरी पीली लाल चूड़ियां,
कान के झुमके, बाज़ुबंद, नाक की नथ
पग में छम छम करते पाजेब
मासूमियत मुस्कान पहने,
एक उंगली से पिता का हाथ थामें,
उस राधा के बिना कृष्ण की कल्पना अधूरी है!!!

कुछ सालों बाद कृष्णा बड़ा होगा,
सो राधा भी बड़ी होगी,
उस राधा पर पाबंदियाँ बढ़ेंगी,
पाजेब की खनक तक को कोसा जाएगा,
पहरे और बंदिसों का एक दौर शुरू होगा!!
वैसे भी इन राधा-कान्हा के लिए कहाँ है ये सभ्य दुनिया,
उन्हे तो पैदा होते ही गला घोंट देते हैं आज कल!!

-अविनाश पाण्डेय "अवि"

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