Sunday, September 10, 2017

आज मैं कितना अकेला

आज फिर मैं अकेला,
मेरे सपने मेरे जज़्बात ,
एक कोने में बैठा अतीत का याद,
कभी खुद से लड़ता, कभी उदास,
सोचता कभी,कभी सहसा अट्ठहास,
रूठे अपने,टूटे सपने,
भविष्य का भय,
वर्तमान को संजोने का प्रयास,
इन उलझनों में सिमटता,
आज मैं कितना एकांत कितना अकेला !

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