Saturday, March 31, 2018

तस्वीर तुम्हारी लिख दूँ

तस्वीर तुम्हारी लिख दूँ, 
या खुद कविता मैं बन जाऊं,
जीवन के कोरे पन्नों पर, 
काव्य सृजन अब कर जाऊं, 
तस्वीर तुम्हारी.....!!! 
मुस्कान पर ग़ज़ल लिखूं या 
होंठों पर मधुपान लिखूं, 
माथे की बिंदियाँ पर सूरज लिखूं, या 
जुल्फों पर बादल का उपमान लिखूं, या 
आँखों में बहती मोती को, 
पारस का श्वेत-श्रृंगार लिखूं, 
प्यार के दीप को इस आंधी में, 
प्रखर प्रज्वलित कर जाऊं!! 
तस्वीर तुम्हारी लिख दूँ, 
या खुद कविता मैं बन जाऊं!, 

यादों की ईंटों से मीनार लिखूं 
या बन खंडहर खुद दफ़न हो जाऊं, 
उन पन्नों से प्रेम-ग्रन्थ लिखूं, 
या जला कर हृदय तप्त कर जाऊं , 
बन शिव पी जाऊं गरल अतीत, 
नाम अमर अब कर जाऊं !! 
तस्वीर तुम्हारी लिख दू अब, 
या खुद कविता मैं बन जाऊं!! 

-अविनाश पाण्डेय "अवि" 


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