घनघोर तिमिर में
आस हूँ मैं,
रवि-सा तेज
प्रकाश हूँ मैं,
अडिग ज्योति हूँ झंझावातों
में,
मानव की पहचान
हूँ मैं,
विकराल हूँ ,साकार हूँ ,
शिव-शंभू की
अवतार हूँ मैं,
हूँ प्रेम-मूर्ति,पावन सदैव ,
हर-गंगे की ललकार
हूँ मैं ||१||
हूँ तेज-तीव्र ,मन-कंचन–निर्मल,
बहती निश्चल
पर्वत पर कल-कल ,
हूँ मलय-समीर, हूँ अनल मैं,
सत्य की रणभेदी,सिंहनाद हूँ मैं ,
मैं हूँ श्रृष्टि
का आदि-बीज,
प्रेम ज्ञान से
जग को सींच,
कर कल्याण अतुल्य, दे अभय दान,
यमराज से छीन
लायी प्राण! ||२||
अग्नि में सीता की
पावित्र्य मैं,
पद्मिनियों का चारित्र्य
मैं,
वेदों में अतुलित
व्याख्यान मैं,
चर-अचर में
विद्यमान मैं,
युग चेतन की प्रखर
ज्वाल मैं,
स्वातंत्र्य-वेदी
पर समर्पित भाल मैं,
पराक्रम-शौर्य का
अमिट इतिहास मैं,
श्रुति-धृति, मर्म
मैं, अटल धर्म-प्रभास मैं ||३||
अबला नहीं ,सबला हूँ मैं,
हूँ दुर्गा की
काया मैं,
मैं धाय-पन्ना
माता-सी,
लक्ष्मी-सती की प्रतिछाया मैं,
निर्भया हूँ मैं, रेवती हूँ मैं,
माता-भगिनी-बेटी हूँ
मैं ,
संपूर्ण समाहित
खुद में,
हर कर्म में अधिकारी हूँ
मैं ||४||
परमेश्वर की
अतुलित कृति हूँ मैं,
अद्भुत-अकल्पनीय सृष्टि
हूँ मैं,
विस्तृत नभ हूँ
मैं, अविकारी हूँ मैं,
स्तुति मैं, तेज़
मैं, चिंगारी हूँ मैं,
मैं उपवन हूँ, जीवन
में फुलवारी हूँ,
सृष्टि-चक्र में भागीदारी
हूँ मै,
पुण्य मैं प्रसून
मैं, सिंह की सवारी हूँ मैं,
नारी हूँ मैं ,नारी हूँ मैं, नारी हूँ मैं !!!!! ||५||
“बालिका अहं बालिका नव युग
जनिता अहं बालिका ।
नाहमबला दुर्बला
आदिशक्ति अहमम्बिका ।।“
-“नारी की अखंडता ,त्याग,साहस,सौन्दर्य,कर्त्यव्यपरायणता को
समर्पित”
-अविनाश पाण्डेय “अवि ”
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