Wednesday, November 23, 2016

एकांकीपन

सूरज तू अकेला क्यूँ चलता है?
क्या तेज शौर्य और तेरी प्रचंड
किरणे तेरी दुश्मन हैं ?
तू सदैव अकेला ही उदय हुआ
औ अकेला ही अस्त !
दूसरी तरफ चाँद है,
उसमे तेरे जैसी चमक तेज नहीं है,
पर उसके साथी हैं तारे असंख्य,
अगणित अनोखे करते विभामंडल
को सुशोभित और मनोरम,
शायद वे चन्द्रमा की शीतलता
के कारण ही उसके मित्र हैं!
तो क्या मैं ये मान लूँ
की सूरज की तीक्ष्ण और तप्त
किरणे ही उसका दुश्मन हैं ?
क्या प्रसिद्ध होने का मतलब
अनगिनत दोस्तों का होना है?
प्रसिद्धि क्या है ? मुझे नहीं पता !
पर अगर आप को पता हो तो बताएं |
मुझे जो लगता है वो ये कि
सफलता या आपकी विश्वसनीयता का
मात्रक आपका निस्वार्थ कर्म है
आपकी पीछे या साथ खडी भीड़
से इसका वास्ता नहीं !
और ना ही एकाकीपन एक अपराध है !
-अविनाश कुमार पाण्डेय 'अवि'

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