"खेल"
तू खेल, तू खेल,
दिवा में खेल सपनो में खेल,
मुश्किलें तन मन से झेल ,
तू खेल, हां ,बस तू खेल |
जीवन है कैरम-गेम,
मानव औ पासे हैं सेम,
मग कष्टों को दे ठेल ,
ले निकर बहार कर प्रभु मेल,
तू खेल ,बस तू खेल |
जीवन है प्यारा क्रिकेट,
प्राणी सब हैं इसके विकेट,
आउट होंगे कब,बात बहुत सीक्रेट ,
हर दिन ,हर क्षण, एक गेंद समझकर खेल,
तू खेल ,हाँ तू खेल |
ग़मों के पर्वत को दे धकेल,
जीवन कानन बना खुशियों का मेल,
खेल-खेल में पढ़ना सिख ,
ना ले कभी दया भीख,
तू खेल ,अब तू खेल |
खेल है गणित,भौतिक ,रसायन शास्त्र,
लक्ष्य है तेरा ज्ञान-चक्षु मात्र,
कर सत्य को तू आत्मसात,
हो निश्चिंत, कर भय को परास्त,
अतएव हे मनु ! तू खेल,बस तू खेल |
जीवन संघर्ष है बड़ा,
पथ में कंटके मिले भला,
हो जाये तेरे पैर लहूलुहान,
ना रुक ,ना झुक,ना हार मान,
तू खेल ,बस तू खेल |
हतोत्साहित ना हो हार से,
कुटिल कर के जटिल प्रहार से,
रुके ना तू ,विफलता की मर से ,
भटके ना तू कुसंगति के पुकार से
हे प्राणी ! तू खेल ,तू खेल |
पर ध्यान रहे, ना अभिमान रहे,
हर क्षण नियम संज्ञान रहे,
विश्वास रहे स्वयं पर,लक्ष्य ध्यान रहे ,
ना हो कभी कर्मविमुढ़,प्रभु प्रति तेरा सम्मान रहे
करने को जीवन सफल ,हार भी ख़ुशी से झेल
तू खेल तू खेल,अब तो खेल |
-अविनाश कुमार पाण्डेय 'अवि'