Wednesday, January 11, 2017

एकला चलो रे

निर्भरता से कमजोरी का प्रादुर्भाव होता है | निर्भर मन में कभी भी रचनात्मक विचार नहीं पनप सकते | स्वाधीन और स्वतंत्र मन से लिए गए निर्णय से विश्वास और साहस की उत्पत्ति होती है | सफलता उन्ही की दासी रही है जिन्होंने स्वयं के निर्णय में विश्वास और आस्था रखा है |

ना वृक्ष की छाया,
ना हवा का साथ,
ना प्रश्न, ना उत्तर,
ना दिशा ,ना द्वंद्व 
कर एकाग्र मन
और एकला चलो रे |
ना साथी ना दुश्मन ,
ना भूख ना भय ,
कर स्वयं पथ प्रशस्त
और एकला चलो रे |
सितारों का हाथ पकड़,
सूरज को रथ बना ,
मन शांत रख और विश्वास रख ,
ले उठा कर से गोवर्धन
और एकला चलो रे | 
-अविनाश पाण्डेय 'अवि'

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