Sunday, January 8, 2017

दो नयन


दो नयन तुम्हारे प्यार भरे,
कुछ कहते इनको कहने दो,
दो नयन निराले मतवाले,
पलकों पर इनको रहने दो !


मदहोश निराली ये ऑंखें,
जिनपर पलकों का पहरा है,
अहसास जगाती दिल में ये
जिनमें तेरा ही चेहरा है,
चाहत से भरे पैगाम को प्रियतम,
इन नयनो में ही रहने दो,
दो नयन निराले मतवाले,
चुपके से इशारा करने दो |


मय से छलकते जाम हैं ये,
प्यासे मन की अभिलाषा हैं,
सागर में उठती मौज हैं ये,
हैं भ्रमर भी ये, मधुशाला हैं |
इस दिव्य ज्योति के किरण पुंज से,
प्रेम का दीपक जलने दो |
दो नयन तुम्हारे मयखने,
मुझको भी शराबी बनने दो |
दो नयन तुम्हारे प्यार भरे,
अधरों पर इनको रहने दो |


हर मूक ह्रदय की बैन हैं ये,
प्यासे मन की अभिलाषा हैं,
जो कह न सके इन होठों से,
उस प्यार की ये परिभाषा हैं |
इन अधरों की ख़ामोशी हैं,
साहिल में भी तूफ़ान हैं ये,
ये विरह व्यथा को कहते हैं,
सब कुछ इनको ही कहने दो,
दो नयन तुम्हारे प्यार भरे,
कुछ कहते इनको कहने दो |
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